वाशिंगटन
भारत में भोजन पकाने के लिए इस्तेमाल होने वाले घटिया ईंधन के संपर्क में आने के कारण हर 1,000 शिशुओं और बच्चों में से 27 की मौत हो जाती है। अमेरिका के एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय द्वारा जारी एक रिपोर्ट में यह कहा गया है। कोर्नेल विश्वविद्यालय में ‘चार्ल्स एच. डायसन स्कूल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक्स एंड मैनेजमेंट' में प्रोफेसर अर्नब बसु समेत अन्य लेखकों ने ‘भोजन पकाने के ईंधन के विकल्प और भारत में बाल मृत्यु दर' शीर्षक वाली रिपोर्ट में 1992 से 2016 तक बड़े पैमाने पर घरों के सर्वेक्षण के आंकड़ों का इस्तेमाल किया है।
आंकड़ों का इस्तेमाल यह पता लगाने के लिए किया गया कि प्रदूषण फैलाने वाले इन ईंधन का मनुष्य की सेहत पर क्या असर पड़ता है। इसमें पाया गया कि इसका सबसे ज्यादा असर एक माह की आयु तक के शिशुओं पर पड़ा है। बसु ने कहा कि यह ऐसा आयु वर्ग है जिसके फेफड़े पूरी तरह विकसित नहीं होते हैं और शिशु सबसे ज्यादा अपनी मां की गोद में रहते हैं जो अक्सर घर में खाना पकाने वाली मुख्य सदस्य होती हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में खाना पकाने के घटिया ईंधन के संपर्क में आने के कारण हर 1,000 शिशु और बच्चों में से 27 की मौत हो जाती है। बासु ने बताया कि भारतीय घरों में इसके कारण लड़कों के बजाय लड़कियों की मौत ज्यादा होती हैं। उन्होंने कहा कि इसकी वजह यह नहीं है कि लड़कियां अधिक नाजुक या प्रदूषण से जुड़ी श्वसन संबंध बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं बल्कि इसकी वजह यह है कि भारत में बेटों को ज्यादा तरजीह दी जाती है और जब कोई बेटी बीमार पड़ती है या उसे खांसी शुरू होती है तो परिवार उसका इलाज कराने पर समुचित ध्यान नहीं देते हैं। बसु ने विश्वविद्यालय की एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, ‘‘स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल करने से न केवल बच्चों के स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर पड़ेगा बल्कि बेटियों की उपेक्षा भी कम होगी।''
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, दुनिया की करीब एक तिहाई आबादी चूल्हे या स्टोव पर खाना पकाती हैं जिसमें ईंधन के तौर पर लकड़ी, उपले या फसलों के अपशिष्ट का इस्तेमाल किया जाता है जिससे दुनियाभर में हर साल 32 लाख लोगों की मौत होती है। बसु ने कहा कि बदलाव लाना मुश्किल है। उन्होंने कहा, ‘‘ज्यादातर ध्यान बाहरी वायु प्रदूषण और फसलों के अपशिष्ट को जलाने के तरीकों पर केंद्रित रहता है। सरकारें पराली जलाने के खिलाफ कानून बना सकती हैं और किसानों को पराली न जलाने के लिए प्रोत्साहित करने के वास्ते अग्रिम भुगतान कर सकती हैं।'' रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि घर के अंदर के प्रदूषण पर भी ध्यान देना उतना ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें अन्य कारकों के अलावा क्षेत्रीय कृषि भूमि स्वामित्व और वन क्षेत्र, घरेलू विशेषताएं और पारिवारिक संरचना भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
Warning: Attempt to read property "display_name" on bool in /home/u300579020/domains/padmavatiexpress.com/public_html/wp-content/plugins/userswp/widgets/authorbox.php on line 147
Warning: Attempt to read property "ID" on bool in /home/u300579020/domains/padmavatiexpress.com/public_html/wp-content/plugins/userswp/widgets/authorbox.php on line 148
Warning: Attempt to read property "user_nicename" on bool in /home/u300579020/domains/padmavatiexpress.com/public_html/wp-content/plugins/userswp/widgets/authorbox.php on line 169
Warning: Attempt to read property "user_registered" on bool in /home/u300579020/domains/padmavatiexpress.com/public_html/wp-content/plugins/userswp/widgets/authorbox.php on line 170
Warning: Attempt to read property "user_url" on bool in /home/u300579020/domains/padmavatiexpress.com/public_html/wp-content/plugins/userswp/widgets/authorbox.php on line 171