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न्यायिक आयोग की टीम ने किया प्रभावित क्षेत्रों का दौरा, दो महीने के भीतर अपनी जांच पूरी करने का दिया निर्देश

संभल
उत्तर प्रदेश के संभल में पिछले महीने शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा की जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग के दो सदस्यों ने रविवार को मस्जिद सहित शहर के हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया। आयोग के प्रमुख एवं इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश देवेंद्र कुमार अरोड़ा और सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी अरविंद कुमार जैन ने कड़ी सुरक्षा के बीच मस्जिद के पास कोट गर्वी इलाके में हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया। आयोग के तीसरे सदस्य, पूर्व आईएएस अधिकारी अमित मोहन प्रसाद रविवार के दौरे के दौरान मौजूद नहीं थे।

24 नवंबर को हुई थी हिंसा
आयोग के सदस्यों ने हालांकि सुबह के दौरे के दौरान मीडिया के किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया। उनके साथ मुरादाबाद के मंडलायुक्त आंजनेय कुमार सिंह, पुलिस उपमहानिरीक्षक मुनिराज, संभल के जिलाधिकारी राजेंद्र पेंसिया और पुलिस अधीक्षक कृष्ण कुमार भी थे। मंडलायुक्त ने शनिवार को बताया था कि अरोड़ा और जैन एक दिन पहले ही मुरादाबाद पहुंच गए थे, जबकि प्रसाद के संभल में उनके साथ शामिल होने की उम्मीद थी। संभल में 24 नवंबर को अदालत के आदेश पर मुगलकालीन शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान हिंसा भड़क गई थी। इस दौरान चार लोगों की मौत हो गई थी और अनेक अन्य घायल हो गए थे। सर्वेक्षण का आदेश एक याचिका पर दिया गया था, जिसमें दावा किया गया था कि मस्जिद स्थल पर कभी हरिहर मंदिर हुआ करता था।

'जांच पूरी तरह से घटनाओं की तह तक पहुंचेगी'
आयोग को दो महीने के भीतर अपनी जांच पूरी करने का निर्देश दिया गया है। इस समय सीमा को बढ़ाने के लिए सरकार की मंजूरी की जरूरत होगी। आयोग इस बात की जांच करेगा कि क्या पिछली 24 नवंबर को हुई हिंसक झड़पें स्वतःस्फूर्त थी या किसी सुनियोजित आपराधिक साजिश का हिस्सा थीं। साथ ही स्थिति को संभालने में पुलिस और प्रशासन की तैयारियों की भी जांच होगी। आयोग हिंसा के लिए जिम्मेदार परिस्थितियों का भी विश्लेषण करेगा और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के उपायों की सिफारिश करेगा। आयोग के सदस्य जैन ने कहा कि यह जांच पूरी तरह से घटनाओं की तह तक पहुंचेगी। 

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