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Marsilli pahad story ranchi namkum

रिपोर्ट- शिखा श्रेया

रांची. भारत ऋषि-मुनियों और संतों तथा महान पुरुषों का देश है. भारत की भूमि पर अनेक महावीर और पराक्रमी ने जन्म लेकर भारत की भूमि को गौरवान्वित किया है. ऐसे ही एक महावीर हुए हैं महर्षि वाल्मीकि. महर्षि वाल्मीकि भी एक विद्वान पंडित के रूप में प्रतिष्ठित हैं. वाल्मीकि जी ने मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के जीवन से जुड़ा महाकाव्य लिखा है.

लेकिन यह बात शायद बहुत कम लोग जानते होंगे कि झारखंड की राजधानी रांची के नामकुम में स्थित मराशिली पहाड़ पर वाल्मीकि जी ने बैठकर कई सालों तक तपस्या की थी. अपना काफी लंबा समय वाल्मीकि जी ने इसी पहाड़ पर बिताया और यहीं पर अपना रोजमर्रा की जरूरत के लिए तालाब भी बनाया था.

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कैसे पड़ा पहाड़ का नाम मराशिली

इस पहाड़ के ऊपर एक शिव भगवान का खूबसूरत मंदिर भी है. मंदिर के पुजारी ने यहां का किस्सा बताते हुए News18 लोकल से खास बातचीत की और कहा यहां वाल्मीकि जी आए और इसी पहाड़ को अपने साधना के लिए चुना. उन्हें राम-राम जपने के लिए कहा गया था, राम राम जपते जपते 24 घंटे व कई दिन बीत गए और उन्हें कोई सुध बुध ना रहा व राम के बदले मरा मरा जपने लगे. इसलिए इस पहाड़ का नाम भी मराशिली पड़ गया.

कोई नहीं नाप पाया तालाब की गहराई

इस पहाड़ की चोटी पर एक खूबसूरत सा जलकुंड बना हुआ है, जलकुंड की खास बात यह है कि यह सालों कभी सूखता नहीं है, चाहे कितने भी भीषण गर्मी क्यों ना हो. इसके साथ ही इस तालाब की विशेषता है कि तालाब इतना गहरा है कि आज तक कोई इसे नाप नहीं पाया है.

इससे जुड़ा एक किस्सा भी है मंदिर के पुजारी शिव शंभू कहते हैं, मैंने अपनी आंखों से देखा है एक लड़का यहां सुसाइड करने आया था 10 से 12 बार तालाब के अंदर कूदा लेकिन उसके बावजूद यहां डूब नहीं पाया. बाद में पहाड़ के नीचे जाकर जान दिया.

माता दुर्गा के पैर के निशान मंदिर के पुजारी शिव शंभू बताते हैं, कहा जाता है यहां वाल्मीकि जी से प्रसन्न होकर माता दुर्गा ने उसे उन्हें साक्षात दर्शन दिए थे. इसलिए माता दुर्गा के एक पैर के निशान यहां मौजूद है. इसके साथ ही यहां पर कई लोग साधना करने आते हैं तथा ध्यान लगाने आते हैं. क्योंकि यहां की शांति व सौंदर्य सारे तनाव को मिटा मन को सुकून प्रदान करती है.

यहां घूमने आए शशांक कहते हैं इस पहाड़ में पैर रखते ही मानो मन प्रफुल्लित हो उठता है. इतना आनंद आता है जिसे शब्दों में बयां कर पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है, यह सिर्फ महसूस करने की चीज है.

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