नईदिल्ली
मुखर्जी नगर स्थित गर्ल्स पीजी में अग्निशामक उपकरण पुराने थे और फायर अलार्म उपकरण भी नहीं लगाए गए। इस बात का जिक्र दिल्ली पुलिस ने अपनी एफआईआर में किया है। फिलहाल हादसे की वजह से अस्पताल में भर्ती चार छात्राओं को छुट्टी मिल गई है। पुलिस ने पीजी से जुड़े दो लोगों को हिरासत में लिया है। एफआईआर के अनुसार, इमारत में क्षमता से अधिक छात्राओं को रखा गया था।
हादसे के समय इस इमारत में आने-जाने का रास्ता भी ठीक नहीं था। सीढ़ी की बगल में बिजली का मीटर लगा था। पीजी में लगे अग्निशामक उपकरण पुराने थे और चालू हालत में नहीं थे। इसके अलावा पीजी संचालकों ने स्मॉग इंडिकेटर भी नहीं लगाए थे। वहीं, एमएलसी के अनुसार, अस्पताल में भर्ती छात्राओं को धुएं की वजह से सांस लेने में दिक्कत हो रही थी।
पुलिस ने 20 छात्राओं के बयान दर्ज किए
पुलिस अधिकारी ने बताया कि बचाव कार्य के दौरान घायल हुए एसएचओ किशोर कुमार और कांस्टेबल सुमित की हालत भी सामान्य है। बचाव के दौरान शीशा चटकने से एसएचओ के हाथ में शीशा धंस गया था, जबकि सुमित के पैर में चोट लगी थी। जांच से जुड़े सूत्रों ने बताया कि शुक्रवार तक 20 छात्राओं के बयान दर्ज किए गए हैं। उन्होंने हादसे को लेकर पीजी संचालक पर लापरवाही का आरोप लगाया। पुलिस अधिकारी ने बताया कि रजिस्टर जल जाने की वजह से छात्राओं से संपर्क करने में दिक्कत आ रही है। हिरासत में लिए गए दो लोगों से पूछताछ के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
पीजी से छात्राओं ने देर रात सामान निकाला
गुरुवार देर रात एन ब्लॉक स्थित पीजी की स्थिति सामान्य होने के बाद यहां से छात्राओं ने अपना सामान उठा लिया। स्थानीय लोगों ने बताया कि पुलिस की मौजूदगी में छात्राएं परिजनों के साथ सामान लेकर बाहर आ गईं।
‘यहां अधिकांश छात्र मजबूरी में रहते हैं’
उत्तर प्रदेश के बलिया निवासी आशीष कुमार का कहना है कि यहां अधिकांश छात्र मजबूरी में रहते हैं। वह सोचते हैं कि कोचिंग और पीजी आसपास हो तो उनको आने-जाने में अतिरिक्त समय नहीं लगेगा। किसी भी पीजी में निकासी के दो दरवाजे नहीं हैं। यदि किसी पीजी के किचन में आग लगती है तो निकासी का एक ही रास्ता है। हम चाहते हैं कि पीजी संचालक जिस तरह से पैसे लेते हैं, उस हिसाब से सुविधा और सुरक्षा भी दें।
पीजी के लिए दिशा-निर्देश बनने चाहिए
राशि पिछले एक साल से पीजी में रहकर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही है। उसने बताया कि यहां पीजी संचालक अपने नियम लागू करते हैं। अचानक ही किराये में बढ़ोतरी कर देते हैं बल्कि बेकार खाना भी देते हैं। इनके लिए सरकारी निर्देश नहीं हैं। पीजी संचालकों के लिए यदि दिशा-निर्देश बनते हैं तो छात्रों के अलावा कामकाजी महिलाओं को भी लाभ मिलेगा।
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