महाकुंभ नगर
प्रयागराज में लगे महाकुंभ में विश्व हिंदू परिषद की ओर से भी शिविर का आयोजन किया जाता है। हर महाकुंभ में विश्व हिंदू परिषद की ओर से धर्म संसद का आयोजन होता है और हिंदू समाज में सकारात्मक परिवर्तनों के लिए प्रस्तावों पर चर्चा होती है। लेकिन इस बार का महाकुंभ खास है क्योंकि पहली बार विश्व हिंदू परिषद ने बौद्ध सम्मेलन करने का फैसला लिया है। अब तक हिंदू सम्मेलनों का आयोजन ही वीएचपी करती रही है, लेकिन पहली बार बौद्ध सम्मेलन होने वाला है। महाकुंभ में 10 फरवरी से तीन दिन का सम्मेलन आयोजित होना है, जिसमें बौद्ध भंते और लामा बुलाए गए हैं। ये भंते भारत के अलग-अलग राज्यों के अलावा रूस, अमेरिका, कंबोडिया, म्यांमार समेत कई देशों से आएंगे।
विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय संगठन महामंत्री मिलिंद परांडे ने कहा कि कुंभ आध्यात्मिक एकत्रीकरण का स्थान है। उन्होंने कहा कि शैव, जैन, सिख, बौद्ध समेत कई परंपराओं का जन्म भारत में ही हुआ। आपस में अलग-अलग विचारों के संतों का मिलना सामान्य प्रक्रिया है। इसी को आगे बढ़ाते हुए हमने बौद्ध संत सम्मेलन का आयोजन किया है। अपनी स्थापना के दौर से ही विश्व हिंदू परिषद ने हिंदू सम्मेलन के आयोजन लगातार किए हैं, लेकिन पहली बार है, जब बौद्धों को जुटाया जा रहा है। वीएचपी संघ का आनुषांगिक संगठन है और भाजपा भी संघ परिवार का ही एक राजनीतिक हिस्सा है। ऐसे में वीएचपी के इस सम्मेलन को संघ और भाजपा की कोशिशों से जोड़कर देखा जा रहा है।
दरअसल देश में दलित समाज का एक बड़ा वर्ग है, जिसने बौद्ध मत की परंपराओं को अपना लिया है। इसके अलावा जिन लोगों ने बौद्ध परंपराओं को अपनाया नहीं है, उनमें भी उससे सहानुभूति रखने वालों की बड़ी संख्या है। पिछड़े समाज के भी तमाम लोग बौद्ध पंथ की परंपराओं को स्वीकार करते हैं और महात्मा बुद्ध में आस्था रखते हैं। ऐसे में भाजपा और आरएसएस की रणनीति है कि यदि इस वर्ग को साध लिया जाए तो चुनावी लाभ मिल सकेगा। इसके अलावा सामाजिक रूप से हिंदुओं के साथ बौद्धों को जोड़ने में भी मदद मिलेगी। हाल में ही महाराष्ट्र के चुनाव हुए तो वहां भाजपा ने इस पर खास फोकस किया था। यहां तक कि बौद्ध समाज से आने वाले किरेन रिजिजू को वहां जिम्मेदारी दी गई थी कि वे बौद्धों को जोड़ें।
1966 में कुंभ में ही हुई थी विश्व हिंदू परिषद की स्थापना
विश्व हिंदू परिषद ने 1966 में अपनी स्थापना के दौरान ही कुंभ में पहला हिंदू सम्मेलन किया था। तब वीएचपी का सम्मेलन आयोजित कराने में आरएसएस के दूसरे सरसंघचालक श्री माधव सदाशिव राव गोलवलकर यानी गुरुजी की अहम भूमिका रही थी। तब से अब तक हर बार कुंभ में हिंदू सम्मेलन और धर्म संसद के आयोजन होते रहे हैं। लेकिन इस बार बौद्ध सम्मेलन हो रहा है और यह संगठन की नीति में बदलाव का संकेत है। बता दें कि संघ के विचारक मानते हैं कि हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध धर्मों के लिए भारत पुण्यभूमि है और इसलिए इन सभी के बीच आपसी एकता होनी चाहिए क्योंकि सभी के मूल्य भारतीय परंपरा से जुड़े हैं।
Warning: Attempt to read property "display_name" on bool in /home/u300579020/domains/padmavatiexpress.com/public_html/wp-content/plugins/userswp/widgets/authorbox.php on line 147
Warning: Attempt to read property "ID" on bool in /home/u300579020/domains/padmavatiexpress.com/public_html/wp-content/plugins/userswp/widgets/authorbox.php on line 148
Warning: Attempt to read property "user_nicename" on bool in /home/u300579020/domains/padmavatiexpress.com/public_html/wp-content/plugins/userswp/widgets/authorbox.php on line 169
Warning: Attempt to read property "user_registered" on bool in /home/u300579020/domains/padmavatiexpress.com/public_html/wp-content/plugins/userswp/widgets/authorbox.php on line 170
Warning: Attempt to read property "user_url" on bool in /home/u300579020/domains/padmavatiexpress.com/public_html/wp-content/plugins/userswp/widgets/authorbox.php on line 171