नई दिल्ली
भारतीय टीम के पूर्व हॉकी खिलाड़ी पीआर श्रीजेश को पद्म भूषण दिए जाने की घोषणा की गई थी और यह अनुभवी गोलकीपर इस सम्मान को पाने से काफी भावुक है। श्रीजेश मेजर ध्यानचंद के बाद यह पुरस्कार पाने वाले भारत के दूसरे हॉकी खिलाड़ी हैं। श्रीजेश का कहना है कि उन्होंने पिछले 20 वर्षों में भारतीय हॉकी के लिए जो कुछ भी किया है, उससे कहीं ज्यादा देश ने उन्हें लौटाया है।
मेजर ध्यानचंद के बाद पद्म भूषण पाने वाले दूसरे हॉकी खिलाड़ी
भारत के महानतम गोलकीपरों में शुमार श्रीजेश को पता ही नहीं था कि मेजर ध्यानचंद (1956) के बाद पद्म भूषण पुरस्कार पाने वाले वह दूसरे हॉकी खिलाड़ी है और इस उपलब्धि ने उन्हें भावुक कर दिया। श्रीजेश का नाम उन पांच खिलाड़ियों में शामिल है जिन्हें इस साल पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया जाएगा। श्रीजेश टोक्यो ओलंपिक और पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय पुरुष हॉकी टीम का हिस्सा थे। उन्होंने पिछले साल पेरिस ओलंपिक के बाद अंतरराष्ट्रीय हॉकी से संन्यास ले लिया था।
माता-पिता और पत्नी को किया फोन
श्रीजेश ने कहा, मुझे सुबह खेल मंत्रालय से फोन आया था लेकिन शाम तक आधिकारिक घोषणा होने का इंतजार था। इतने समय सब कुछ फ्लैशबैक की तरह दिमाग में चल रहा था। मैं राउरकेला में हॉकी इंडिया लीग का मैच देख रहा था जब पुरस्कारों की घोषणा हुई। मैने पहला कॉल केरल में माता पिता और पत्नी को किया जिनके बिना यह सफर संभव नहीं था। इसके बाद हरेंद्र सर को फोन किया जिनके मार्गदर्शन में मैने भारत की जूनियर टीम में पदार्पण किया था।
श्रीजेश ने कहा, करियर से विदा लेने के बाद अब यह सम्मान मिलने से मुझे महसूस हो रहा है कि पिछले 20 साल में भारतीय हॉकी के लिए जो कुछ मैने किया है, देश उसके लिए मुझे सम्मानित कर रहा है। मैं देश को धन्यवाद बोलना चाहता हूं। जितना मैने दिया, देश ने मुझे उससे ज्यादा लौटाया है। यह पूछने पर कि ध्यानचंद के बाद यह सम्मान पाने वाले दूसरे हॉकी खिलाड़ी बनकर कैसा लग रहा है, उन्होंने कहा कि वह इस बात से अनभिज्ञ थे लेकिन बाद में मीडिया के जरिये ही पता चला तो यकीन नहीं हुआ। भारत की अंडर 21 पुरुष टीम के कोच बने श्रीजेश ने कहा, मुझे पता नहीं था कि मैं ध्यानचंद जी के बाद यह पुरस्कार पाने वाला दूसरा हॉकी खिलाड़ी हूं। सपने जैसा लग रहा है। भारत का हॉकी में इतना सुनहरा इतिहास रहा है और हमने इतने महान खिलाड़ी विश्व हॉकी को दिए हैं। ऐसे में ध्यानचंद जी के बाद मुझे यह पुरस्कार मिलना मेरे लिये बहुत बड़ी बात है। मैं खुद को बहुत खुशकिस्मत मानता हूं।
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