केद्र शासित जम्मू-कश्मीर प्रदेश विधानसभा का बजट सत्र मार्च में प्रस्तावित, राजनीतिक दलों ने जताई आपत्ति

जम्मू
केद्र शासित जम्मू-कश्मीर प्रदेश विधानसभा का बजट सत्र मार्च में प्रस्तावित है। सभी बजट सत्र का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, लेकिन विभिन्न राजनीतिक दलों ने इसके समय को लेकर आपत्ति जतानी शुरू कर दी है। वह चाहते हैं कि इसे फरवरी में ही आयोजित किया जाए । उल्लेखनीय है कि गत 20 जनवरी को मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में प्रदेश केबिनेट की बैठक में बजट सत्र को मार्च में बुलाने का एक प्रस्ताव पारित किया गया। इस प्रस्ताव को अनुमोदन के लिए उपराज्यपाल के पास भेजा गया है।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा का यह बीते आठ साल में पहला बजट सत्र होगा। जम्मू-कश्मीर राज्य विधानसभा का अंतिम बजट सत्र फरवरी 2018 में हुआ था और जून 2018 मे तत्कालीन राज्य सरकार गिर गई थी। इसके बाद जम्मू-कश्मीर में वर्ष 2024 में ही विधानसभा चुनाव हुए। इस दौरान जम्मू-कश्मीर एक पूर्ण राज्य से केंद्र शासित प्रदेश बन गया था। आगामी बजट सत्र केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर विधानसभा का पहला बजट सत्र होने जा रहा है। इसमें वर्ष 2025-26 के बजट को पेश किया जाएगा। मार्च में ही इस्लामिक कैलेंडर का रमजान माह शुरू होगा। रमजान में ही मुस्लिम समुदाय के लोग दिनभर रोजा रखते हैं और अपना अधिकांश समय इबादत में बिताते हैं।

मतदाताओं से जुड़े मुद्दों पर बात नहीं कर पाएंगे
पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद गनी लोन ने कहा कि मार्च में जब पाक रमजान होगा, विधानसभा का सत्र बुलाना सही नहीं रहेगा। इससे अधिकांश विधायकों के लिए असुविधा होगी। जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में आधे से ज्यादा विधायक मुस्लिम हैं और सभी उस दौरान रोजदार होंगे। प्रदेश सरकार को इस मामले की गंभीरता को समझना चाहिए। पाक रमजान में कई विधाायक सदन की कार्यवाही में भाग नहीं ले पाएंगे और वह अपने अपने क्षेत्र के मतदाताओं से जुड़े मुद्दों पर भी बात नहीं कर पाएंगे।

सत्र को फरवरी में बुलाने की अपील
सत्ताधारी नेशनल कॉन्फ्रेंस के एक विधायक ने अपना नाम न छापे जाने की शर्त पर कहा कि यह सही है कि पाक रमजान में कोई काम बंद नहीं होता, जीवन से जुड़ी हर गतिविधि चलती रहती है, लोग अपने काम धंधे करते हैं, लेकिन फिर भी रमजान में सत्र नहीं बुलाया जाना चाहिए। पाक रमजान में हम सभी लोग रोजा रखते हैं और ज्यादातर वक्त मस्जिदों में रहते हैं। इसलिए बेहतर है कि सत्र को फरवरी में बुलाया जाए, पहले भी तो यह फरवरी में हो चुका है।

मार्च में बजट सत्र बुलाने का प्रस्ताव कैसे पारित हुआ?
जम्मू-कश्मीर अवामी इत्तिहाद पार्टी के विधायक शेख खुर्शीद ने कहा कि अगर हम कहेंगे कि रमजान में यह सत्र नहीं बुलाया जाना चाहिए तो हमें कट्टरपंथी कहा जाएगा। पाक रमजान तो इबादत और रोजदारी का महीना है। जब किसी ने रोजा रखा होता है तो उस पर कई पाबंदियां होती हैं, ऐसी स्थिति में विधानसभा सत्र में भाग लेना और अपने मतदाताओं के प्रति जिम्मेदारी को पूरा करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। हमें यह समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर सबकुछ जानते हुए भी मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मार्च में बजट सत्र बुलाने का प्रस्ताव कैसे पारित किया है। खैर, अभी तक इस बारे में कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है और हमें उम्मीद है कि सरकार इस विषय मे जरूर आशाजनक कार्रवाई करेगी।


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