दुमका।
झारखंड के शिक्षक डॉ. सपन कुमार की चर्चा पूरे राज्य में हो रही है। चर्चा हो भी क्यों न, आखिर 26 जनवरी को दिल्ली में गणतंत्र दिवस की परेड में डॉ. सपन कुमार वीआईपी गेस्ट जो बने हैं। केंद्र की मोदी सरकार की ओर से डॉ. सपन कुमार को वीआईपी गैलरी में अपने परिवार के साथ बैठकर गणतंत्र दिवस की परेड देखने का न्योता मिला है।
इसके अलावा डॉ. सपन कुमार 26, 27 और 28 जनवरी को नई दिल्ली में होने वाले अलग-अलग कार्यक्रमों में बतौर स्पेशल गेस्ट शामिल होंगे। डॉ. सपन कुमार दुमका जिला के जरमुंडी प्रखंड जरमुंडी प्रखंड के डुमरथर विद्यालय के प्रधानाध्यापक हैं। झारखंड में ब्लैक बोर्ड मॉडल का जनक शिक्षक डॉ सपन कुमार को माना जाता है। डॉ. सपन कुमार हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मन की बात' के 100वें एपिसोड के दौरान दिल्ली में आयोजित विशेष कार्यक्रम में शामिल हुए थे। डॉ सपन कुमार को भारत में आयोजित जी-20 के सेवा समिट में भी शामिल होने के लिए भी आमंत्रित किया गया था। डॉ सपन की चर्चा पीएम मोदी 'मन की बात' कार्यक्रम में कर चुके हैं। इससे डॉ सपन कुमार देश में सुर्खियां बटोर चुके हैं।
क्या है ब्लैक बोर्ड मॉडल?
डॉ सपन दुमका जिले के दुर्गम सुदूर ग्रामीण क्षेत्र डुमरथर के शिक्षक हैं। जहां पहुंचना काफी कठिन रहता है। यह आदिवासी क्षेत्र है। यहां के अधिकांश लोगों ने शिक्षा प्राप्त नहीं की है। इस गांव में बच्चों को पढ़ाने के दौरान डॉ सपन कुमार ने ब्लैक बोर्ड मॉडल तैयार किया। दरअसल कठिन परिस्थिति में बच्चों को बढ़ाने के लिए न ब्लैक बोर्ड बाजार से नहीं खरीदा जा सका, न कॉपी किताबें। ऐसे में डॉ. सपन कुमार ने गांव के लोगों के साथ मिलकर गांव की सभी दीवारों पर ब्लैकबोर्ड बना दिया। जरूरत का डस्टर, झाड़ू, चटाई का निर्माण गांव में ही किया। इसके बाद स्कूल में डॉ. सपन कुमार एक ब्लैक बोर्ड पर पढ़ाते। उसे पढ़कर बच्चे गांव के घरों की दीवारों पर बने ब्लैक बोर्ड पर अपना अभ्यान करते। इस तरह से गांव के बच्चे शिक्षित होने लगे। कोरोना काल में लॉकडाउन के समय डॉ सपन ने समुदाय के सहयोग से गांव के सभी दीवारों पर ब्लैक बोर्ड बनाकर किताब के पाठों को लिखकर, चित्र बनाकर बच्चों की पढ़ाई जारी रखी थी।
भारत सरकार का विशिष्ट अतिथि बनना सबसे बड़ा उपहार: डॉ. सपन
डॉ. सपन कुमार ने कहा कि गणतंत्र दिवस भारत के लिए महत्वपूर्ण दिन है। यह दिन इसलिए खास है क्योंकि 1950 में इसी दिन भारत का संविधान लागू किया गया था। इस दिन से भारत ने एक लंबी यात्रा तय की है। डॉ सपन ने कहा कि एक शिक्षक के रूप में वीआईपी गैलरी में भारत सरकार का विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल होना, उनके जीवन का सबसे बड़ा उपहार है। यह देश के वैसे सभी लोगों का सम्मान है, जो कठिनाइयों में कार्य करते हुए देश को श्रेष्ठ बनाने में अपना योगदान दे रहे हैं।
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