इराक
इराक की संसद ने तीन विवादास्पद कानूनों को मंजूरी दी है। इन कानूनों में से एक कानून सबसे ज्यादा चर्चा में है, जो मौलवियों को लड़कियों की शादी की उम्र तय करने का अधिकार देता है। इस कानून के पारित होने के बाद महिला अधिकार संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने गहरी चिंता और विरोध जताया है, क्योंकि यह इराक की महिलाओं के अधिकारों और स्वतंत्रता के लिए एक बड़ा खतरा हो सकता है। आइए, इन कानूनों की विस्तृत जानकारी पर एक नजर डालते हैं।
क्या है नया कानून ?
इराक़ के 1959 के विवाह कानून के तहत लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल तय की गई थी। लेकिन अब, इराक की संसद ने जो नया कानून पारित किया है, उसके तहत मौलवियों को इस्लामी कानून की व्याख्या करने का अधिकार मिल गया है। इसका मतलब है कि मौलवी इस्लामिक धर्म के अनुसार, किसी लड़की की शादी की उम्र तय कर सकते हैं। ऐसे में, यह संभव है कि कोई लड़की महज 9 साल की उम्र में भी शादी कर सकती है, जैसा कि कुछ इस्लामी विचारधाराओं में माना जाता है। यह कानून खासतौर पर जाफरी इस्लामी विचारधारा को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है, जिसे इराक के शिया धार्मिक नेता मानते हैं। इस विचारधारा के अनुसार, बालिग होने की उम्र कम हो सकती है, और शारीरिक परिपक्वता के आधार पर शादी की अनुमति दी जा सकती है।
इस्लामी समाज की मान्यताओं और मूल्यों के खिलाफ
इस कानून को पारित करने वाले शिया नेताओं का कहना है कि यह कानून इस्लामी सिद्धांतों और शरीयत के अनुरूप है। उनका तर्क है कि यह कानून पश्चिमी सभ्यता के प्रभावों को रोकने के लिए जरूरी है, जो इस्लामी समाज की मान्यताओं और मूल्यों के खिलाफ हैं। उनका यह भी कहना है कि इस बदलाव से महिलाओं के हितों की रक्षा होगी और समाज में धार्मिक परंपराओं का पालन सुनिश्चित होगा। शिया नेता यह भी दावा कर रहे हैं कि यह कानून महिलाओं के लिए एक तरह से संरक्षण है, क्योंकि यह इस्लामी हिदायतों के अनुसार उनकी सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करेगा।
लड़कियों की स्वतंत्रता और सुरक्षा पर मंडरा रहा गंभीर खतरा
इस नए कानून को लेकर महिला अधिकार संगठनों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और कुछ धार्मिक और राजनीतिक समूहों ने तीखी आलोचना की है। उनका कहना है कि इस कानून से महिलाओं और लड़कियों की स्वतंत्रता और सुरक्षा पर गंभीर खतरे का खतरा मंडरा सकता है। उनका आरोप है कि इस कानून के लागू होने से महिलाएं और लड़कियां अपनी इच्छाओं और पसंद के खिलाफ विवाहित की जा सकती हैं, जो उन्हें मानसिक, शारीरिक और सामाजिक रूप से नुकसान पहुंचा सकता है। महिला संगठनों का कहना है कि इस कानून के पारित होने से महिलाओं को घर में बंद करने की संभावना बढ़ सकती है, जिससे उनके व्यक्तिगत अधिकारों और आजादी पर अंकुश लगेगा। इसके अलावा, यह कानून पारंपरिक gender roles को और मजबूत कर सकता है, जिससे महिलाओं को समाज में समान अधिकार और स्थान प्राप्त करने में और भी कठिनाई हो सकती है।
भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में बंद सुन्नी
इसी दिन, इराक की संसद ने दो और विवादास्पद कानूनों को भी पारित किया। एक कानून के तहत, भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में बंद सुन्नी बंदियों को रिहा किया जाएगा। इस कानून का उद्देश्य, विशेषकर उन लोगों को राहत देना है, जिन्हें भ्रष्टाचार के कारण कैद किया गया था। कुछ लोग इसे न्यायपूर्ण कदम मानते हैं, जबकि अन्य का मानना है कि इससे केवल राजनीतिक लाभ हासिल करने की कोशिश की जा रही है। इसके अलावा, एक और भूमि कानून पारित किया गया है, जिसका उद्देश्य कुर्द इलाकों पर इराक का दावा बढ़ाना है। इस कानून का लक्ष्य कुर्द क्षेत्रों में इराकी सरकार की स्थिति को मजबूत करना और कुर्दों के साथ चल रहे विवादों को हल करना है। हालांकि, इस कानून का भी कई क्षेत्रों में विरोध हो रहा है, क्योंकि यह कुर्द लोगों के अधिकारों का उल्लंघन कर सकता है।
लोकतांत्रिक मूल्यों का हुआ उल्लंघन
इन कानूनों को पारित करने की प्रक्रिया भी विवादों में है। निर्दलीय सांसद नूर नफी अली ने आरोप लगाया है कि इन कानूनों को बिना उचित तरीके से वोटिंग के पारित किया गया। उनका कहना था कि इस प्रक्रिया से लोकतांत्रिक मूल्यों का उल्लंघन हुआ है, क्योंकि कई सांसदों ने विरोध के बावजूद इन कानूनों के पक्ष में मतदान किया। उनका मानना था कि यह लोकतंत्र का मजाक बनाकर पारित किया गया है, जो इराक की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर सवाल उठाता है।
क्या होगा इसका समाज और राजनीति में असर ?
इन विवादास्पद कानूनों ने इराक में व्यापक सामाजिक और राजनीतिक बहस को जन्म दिया है। जहां एक ओर कुछ लोग इसे इस्लामी मूल्यों की पुनर्स्थापना के रूप में देख रहे हैं, वहीं दूसरी ओर इसे महिलाओं के अधिकारों और स्वतंत्रता पर एक गंभीर हमले के रूप में देखा जा रहा है। इन कानूनों का इराक की राजनीति और समाज पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। आने वाले समय में, इन कानूनों के परिणामों के बारे में स्पष्टता के साथ ही इराक में इस मुद्दे पर और अधिक बहस होगी। इन विवादास्पद कानूनों ने इराक की अंतरराष्ट्रीय छवि को भी प्रभावित किया है, और यदि ये कानून लागू होते हैं, तो देश में महिलाओं और समाज के अन्य कमजोर वर्गों के लिए स्थिति और भी कठिन हो सकती है।
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