साल 2024 में भारतीय कंपनियों का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में 17% की वृद्धि दर्ज की गई, जो 37.68 बिलियन डॉलर तक पहुँचा

नई दिल्ली
साल 2024 में भारतीय कंपनियों का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (OFDI) में 17% की वृद्धि दर्ज की गई, जो कुल मिलाकर 37.68 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया। यह आंकड़ा भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के द्वारा जारी किए गए डेटा से सामने आया है। साल 2023 में यह निवेश 32.29 बिलियन डॉलर था। भारतीय कंपनियों द्वारा किया गया यह निवेश उनके वैश्विक विस्तार और भविष्य के विकास के प्रति उनकी बढ़ती प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

क्या है OFDI और इसके घटक?
OFDI यानी "आउटवर्ड फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट" तब होता है जब कोई भारतीय कंपनी विदेश में निवेश करती है। इसके तीन प्रमुख घटक होते हैं –
इक्विटी निवेश
ऋण
जारी की गई गारंटी
साल 2024 में भारतीय कंपनियों द्वारा इक्विटी के रूप में किया गया निवेश $12.69 बिलियन था, जो कि साल  2023 में किए गए $9.08 बिलियन से 40% अधिक था। वहीं, ऋण श्रेणी के तहत निवेश भी $8.7 बिलियन तक पहुँच गया, जो साल  2023 के $4.76 बिलियन से काफी ज्यादा है। हालांकि जारी की गई गारंटी साल 2024 में घटकर $16.29 बिलियन हो गई, जो 2023 में $18.44 बिलियन थी।

भारतीय कंपनियां वैश्विक हो रही हैं
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री, मदन सबनवीस ने कहा, "यह भारतीय कंपनियों के लिए एक सकारात्मक संकेत है कि वे सिर्फ घरेलू निवेश पर ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी ध्यान दे रही हैं। इससे उनकी विकास प्रक्रिया में विविधता आ रही है।" भारतीय कंपनियां अब न केवल भारतीय बाजारों पर निर्भर रहकर अपना कारोबार चला रही हैं, बल्कि वे विदेशी बाजारों में भी विस्तार कर रही हैं। यह वैश्विक स्तर पर भारतीय कंपनियों के बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है।

कौन से क्षेत्र हैं जिनमें भारतीय कंपनियां निवेश कर रही हैं?
भारतीय कंपनियां होटल, निर्माण, विनिर्माण, कृषि, खनन और सेवाओं जैसे विभिन्न क्षेत्रों में विदेशी बाजारों में निवेश कर रही हैं। ये क्षेत्र विदेशी बाजारों में भारतीय कंपनियों के प्रभाव और विस्तार का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुके हैं।

भारतीय निवेश का प्रमुख क्षेत्र क्या?
OFDI के माध्यम से भारतीय कंपनियों द्वारा किए गए निवेश में प्रमुख देशों में सिंगापुर, यूएस, यूके, यूएई, सऊदी अरब, ओमान और मलेशिया शामिल हैं। इन देशों में निवेश भारतीय कंपनियों के लिए नए अवसरों और व्यापार के विस्तार का मार्ग प्रशस्त कर रहा है।

पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियां सहायक हैं?
संयुक्त उद्यम (JV) और पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियां (WOS) भारतीय कंपनियों द्वारा विदेशी बाजारों में निवेश के प्रमुख तरीके माने जाते हैं। ये कंपनियां विदेशी क्षेत्रों के साथ सहयोग करने के लिए इन रास्तों का उपयोग करती हैं। सबनवीस ने बताया कि भारतीय कंपनियों का अपनी सहायक कंपनियों में निवेश करना यह दर्शाता है कि वे बाहर विस्तार कर रही हैं और विदेशी क्षेत्रों में कंपनियों के साथ अधिक सहयोग कर रही हैं।

क्या हैं विदेशी निवेश के लाभ?
OFDI के माध्यम से भारतीय कंपनियों को कई महत्वपूर्ण लाभ मिलते हैं। इनमें प्रौद्योगिकी और कौशल का हस्तांतरण, अनुसंधान और विकास (R&D) में साझेदारी, वैश्विक बाजार तक पहुंच, ब्रांड छवि को बढ़ावा, रोजगार सृजन, और कच्चे माल का अधिकतम उपयोग शामिल हैं। यह सब भारतीय कंपनियों के लिए न केवल वित्तीय लाभ, बल्कि वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भी मजबूती प्रदान करता है।

 


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