नई दिल्ली
बजट 2025 पेश होने का वक्त धीरे-धीरे नजदीक आता जा रहा है. इस बीच, कई चीजों को लेकर अटकलें भी तेज हो गई हैं. इस बजट से आम लोगों से लेकर निवेशकों तक को बड़ी उम्मीदें हैं. वहीं कहा जा रहा है कि सरकार टैक्स छूट को लेकर भी कुछ ऐलान कर सकती है. इस बीच, विशेषज्ञों द्वारा नई टैक्स व्यवस्था में होम लोन को शामिल किए जाने को लेकर विचार किया जा रहा है. ऐसे में इसका ऐलान बजट में भी हो सकता है.वहीं पुरानी टैक्स व्यवस्था के तहत टैक्सपेयर्स को होम लोन कटौती का लाभ मिलता है. जो लोग पुरानी टैक्स व्यवस्था को सेलेक्ट करते हैं, वे कब्जे वाली संपत्ति पर होम लोन ब्याज के लिए 2 लजाख रुपये तक की कटौती का दावा कर सकते हैं, जो कि नई टैक्स व्यवस्था में उपलब्ध नहीं है.
नई व्यवस्था के तहत किराये पर दी गई संपत्तियों के लिए कुछ रियायतें हैं. उदाहरण के लिए, आयकर अधिनियम की धारा 24 के अनुसार टैक्स योग्य किराये की इनकम से होम लोन ब्याज की कटौती की कोई सीमा नहीं है. हालांकि लोन पर ब्याज अक्सर किराये की आय से अधिक होता है, जिससे संपत्ति के मालिक को नुकसान होता है. दुर्भाग्य से, इस नुकसान की भरपाई अन्य स्रोतों से आय से नहीं की जा सकती है या नई टैक्स व्यवस्था में आगे नहीं बढ़ाई जा सकती है.
ICAI ने नई टैक्स व्यवस्था के तहत घर की प्रॉपर्टी से इनकम पर टैक्स के संबंध में तीन सिफारिशें पेश की हैं. आईसीएआई ने सरकार से रिक्वेस्ट किया है कि नई टैक्स व्यवस्था (New Tax Regime) के तहत 2 लाख रुपये तक के ब्याज पर कटौती की अनुमति दी जाए. आईसीएआई ने यह भी सुझाव दिया है कि मकान संपत्ति से होने वाले नुकसान को अन्य चीजों के अंतर्गत होने वाली आय से समायोजित करने की अनुमति दी जानी चाहिए. ऐसे मामलों में जहां किसी अन्य मद के अंतर्गत कोई आय नहीं है, आईसीएआई का प्रस्ताव है कि हानि को आगामी 8 टैक्स निर्धारण वर्षों के लिए गृह संपत्ति से आय के विरुद्ध समायोजित करने के लिए पात्र होना चाहिए. होम लोन लेने वालों और उद्योग विशेषज्ञों दोनों को उम्मीद है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) बेहतर टैक्स लाभ की उनकी लंबे समय से चली आ रही मांगों पर ध्यान देंगी.
पुरानी टैक्स व्यवस्था के तहत होम लोन
नई व्यवस्था लागू होने के बाद से पुरानी टैक्स व्यवस्था (Old Tax Regime) में कोई नई या बेहतर कर छूट लागू नहीं होने के बावजूद, विशेषज्ञ छूट में वृद्धि की वकालत कर रहे हैं. यह शहरी भारत में घर के स्वामित्व की बढ़ती लागत के जवाब में है. विशेषज्ञों का मानना है कि पुरानी टैक्स व्यवस्था में धारा 80सी और 24बी के तहत प्रदान की जाने वाली वर्तमान टैक्स कटौती अपर्याप्त है और वे घर के मालिकाना हक को और अधिक किफायती बनाने के लिए सुधारों की मांग कर रहे हैं.
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