नई दिल्ली
दिल्ली में विधानसभा चुनाव से पहले इमाम, पंडित और ग्रंथियों के वेतन के मुद्दे पर राजनीति तेज हो गई है। एक तरफ जहां आम आदमी पार्टी (आप) ने पुजारियों और ग्रंथियों को चौथी बार सरकार बनने पर हर महीने 18 हजार रुपए सम्मान राशि देने का वादा किया तो दूसरी तरफ पिछले कई दिनों से वक्फ बोर्ड के करीब 250 इमाम 17 महीनों से लंबित अपने वेतन को लेकर अरविंद केजरीवाल के घर का चक्कर काट रहे हैं। इस बीच ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन (एआईएमआईएम) के प्रमुख साजिद रशिदी ने कहा है कि 'आप' सरकार ने फायदे की बजाय और उनका नुकसान ही किया और अब कटोरा लेकर घूमने को मजबूर कर दिया है।
साजिद रशिदी ने न्यूज 24 से बातचीत में विस्तार से बताया कि किस तरह शुरुआत में उन्हें फायदा दिखाया गया, लेकिन बाद में यह उनके लिए नुकसानदायक साबित हुआ। रशिदी ने कहा, 'जब से केजरीवाल सरकार आई है एक बार फिर छह महीने लगातार वेतन नहीं मिला। जब भी मिली है 5-6 महीने रुककर मिली है, जबकि पैसों की कमी नहीं है इनके पास।' रशिदी ने कहा कि मुसलमानों और पादरियों को छूने से केजरीवाल बच रहे हैं, क्योंकि इनकी राजनीति कमजोर होगी। तीन दिन केजरीवाल से मुलाकात का प्रयास कर चुके रशिदी ने कहा, 'ईसाइयों को ना देकर और हमसें ना मिलकर वह यह दिखाना चाहते हैं कि देखो मुसलमानों को हम इस हद तक ले जा सकते हैं कि उनके इमामों को घर पर खड़ा रखकर जलील कर सकते हैं। वह यह दिखाना और बताना चाहते हैं।'
राशिदी का आरोप है कि दिल्ली के सभी इमामों को वेतन देने का ऐलान करने के बहाने वक्फ बोर्ड के स्थायी इमामों के साथ ठगी की गई। रशिदी ने कहा, 'केजरीवाल जी ने 2020 में एक शिगूफा छोड़ा, दिल्ली के सभी इमामों को वेतन देने का ऐलान किया। जो हम परमानेंट लोग हैं, मैं भी 96 से इमाम हूं, उससे पहले से भी लोग हैं, लेकिन इन्होंने कहा कि प्राइवेट मस्जिदों के इमामों को भी वेतन देंगे। अमानतुल्लाह जब चेयरमैन थे, 37 करोड़ का ग्रांट मंजूर कर दिया गया। हमने साथ दिया यह सोचकर कि किसी का फायदा हो जाए। लेकिन इनके (निजी) के बहाने हम परमानेंट को भी खराब कर दिया। दो तीन बार वेतन दिया। 100 करोड़ का बजट दिया, उसका क्या हुआ वह तो चेयरमैन, सरकार जानें। उसके बाद उन्हें भी वेतन नहीं मिला। हम जो वक्फ बोर्ड के राजस्व से वेतन पाते थे, ग्रांट पर कर दिया। यानी हमें पक्के से कच्चा कर दिया। यह कमाल केजरीवाल जी ने किया। आप हमें 10 हजार ही देते, कमजोर तो ना करते।'
रशिदी ने कहा कि यह ग्रंथियों, पुजारियों या इमामों का सम्मान नहीं गुगली है। उन्होंने कहा कि एक इमाम के पास सैकड़ों-हजारों लोग नमाज पढ़ते हैं। लेकिन लोगों को जब पता चलेगा कि इमाम को पैसा नहीं मिला तो उन पर असर तो होगा। उन्होंने कहा कि ग्रंथियों को सरकार की मदद की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि गुरुद्वारे सक्षम हैं, लेकिन पुजारी झांसे में आ सकते हैं। पुजारियों को पैसे का वादा करके शिगूफा छोड़ा गया है ताकि उनके अनुयायी प्रभावित हों। देंगे या नहीं देंगे यह तो चुनाव बाद होगा, जैसे अभी महिलाओं से रजिस्ट्रेशन करा लिया और इनके विभाग ने कह दिया कि ऐसी कोई स्कीम ही नहीं है।
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